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Surah Aal-E-Imran Ayahs #160 Translated in Hindi

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَكُونُوا كَالَّذِينَ كَفَرُوا وَقَالُوا لِإِخْوَانِهِمْ إِذَا ضَرَبُوا فِي الْأَرْضِ أَوْ كَانُوا غُزًّى لَوْ كَانُوا عِنْدَنَا مَا مَاتُوا وَمَا قُتِلُوا لِيَجْعَلَ اللَّهُ ذَٰلِكَ حَسْرَةً فِي قُلُوبِهِمْ ۗ وَاللَّهُ يُحْيِي وَيُمِيتُ ۗ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
ऐ ईमानदारों उन लोगों के ऐसे न बनो जो काफ़िर हो गए भाई बन्द उनके परदेस में निकले हैं या जेहाद करने गए हैं (और वहॉ) मर (गए) तो उनके बारे में कहने लगे कि वह हमारे पास रहते तो न मरते ओर न मारे जाते (और ये इस वजह से कहते हैं) ताकि ख़ुदा (इस ख्याल को) उनके दिलों में (बाइसे) हसरत बना दे और (यूं तो) ख़ुदा ही जिलाता और मारता है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है
وَلَئِنْ قُتِلْتُمْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ أَوْ مُتُّمْ لَمَغْفِرَةٌ مِنَ اللَّهِ وَرَحْمَةٌ خَيْرٌ مِمَّا يَجْمَعُونَ
और अगर तुम ख़ुदा की राह में मारे जाओ या (अपनी मौत से) मर जाओ तो बेशक ख़ुदा की बख्शिश और रहमत इस (माल व दौलत) से जिसको तुम जमा करते हो ज़रूर बेहतर है
وَلَئِنْ مُتُّمْ أَوْ قُتِلْتُمْ لَإِلَى اللَّهِ تُحْشَرُونَ
और अगर तुम (अपनी मौत से) मरो या मारे जाओ (आख़िरकार) ख़ुदा ही की तरफ़ (क़ब्रों से) उठाए जाओगे
فَبِمَا رَحْمَةٍ مِنَ اللَّهِ لِنْتَ لَهُمْ ۖ وَلَوْ كُنْتَ فَظًّا غَلِيظَ الْقَلْبِ لَانْفَضُّوا مِنْ حَوْلِكَ ۖ فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاسْتَغْفِرْ لَهُمْ وَشَاوِرْهُمْ فِي الْأَمْرِ ۖ فَإِذَا عَزَمْتَ فَتَوَكَّلْ عَلَى اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُتَوَكِّلِينَ
(तो ऐ रसूल ये भी) ख़ुदा की एक मेहरबानी है कि तुम (सा) नरमदिल (सरदार) उनको मिला और तुम अगर बदमिज़ाज और सख्त दिल होते तब तो ये लोग (ख़ुदा जाने कब के) तुम्हारे गिर्द से तितर बितर हो गए होते पस (अब भी) तुम उनसे दरगुज़र करो और उनके लिए मग़फेरत की दुआ मॉगो और (साबिक़ दस्तूरे ज़ाहिरा) उनसे काम काज में मशवरा कर लिया करो (मगर) इस पर भी जब किसी काम को ठान लो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो (क्योंकि जो लोग ख़ुदा पर भरोसा रखते हैं ख़ुदा उनको ज़रूर दोस्त रखता है
إِنْ يَنْصُرْكُمُ اللَّهُ فَلَا غَالِبَ لَكُمْ ۖ وَإِنْ يَخْذُلْكُمْ فَمَنْ ذَا الَّذِي يَنْصُرُكُمْ مِنْ بَعْدِهِ ۗ وَعَلَى اللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُونَ
(मुसलमानों याद रखो) अगर ख़ुदा ने तुम्हारी मदद की तो फिर कोई तुमपर ग़ालिब नहीं आ सकता और अगर ख़ुदा तुमको छोड़ दे तो फिर कौन ऐसा है जो उसके बाद तुम्हारी मदद को खड़ा हो और मोमिनीन को चाहिये कि ख़ुदा ही पर भरोसा रखें

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