Quran Apps in many lanuages:

Surah Al-Araf Ayah #176 Translated in Hindi

وَلَوْ شِئْنَا لَرَفَعْنَاهُ بِهَا وَلَٰكِنَّهُ أَخْلَدَ إِلَى الْأَرْضِ وَاتَّبَعَ هَوَاهُ ۚ فَمَثَلُهُ كَمَثَلِ الْكَلْبِ إِنْ تَحْمِلْ عَلَيْهِ يَلْهَثْ أَوْ تَتْرُكْهُ يَلْهَثْ ۚ ذَٰلِكَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِينَ كَذَّبُوا بِآيَاتِنَا ۚ فَاقْصُصِ الْقَصَصَ لَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُونَ
और अगर हम चाहें तो हम उसे उन्हें आयतों की बदौलत बुलन्द मरतबा कर देते मगर वह तो ख़ुद ही पस्ती (नीचे) की तरफ झुक पड़ा और अपनी नफसानी ख्वाहिश का ताबेदार बन बैठा तो उसकी मसल है कि अगर उसको धुत्कार दो तो भी ज़बान निकाले रहे और उसको छोड़ दो तो भी ज़बान निकले रहे ये मसल उन लोगों की है जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया तो (ऐ रसूल) ये क़िस्से उन लोगों से बयान कर दो ताकि ये लोग खुद भी ग़ौर करें

Choose other languages: