Surah An-Nur Translated in Hindi
سُورَةٌ أَنْزَلْنَاهَا وَفَرَضْنَاهَا وَأَنْزَلْنَا فِيهَا آيَاتٍ بَيِّنَاتٍ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ
(ये) एक सूरा है जिसे हमने नाज़िल किया है और उस (के एहक़ाम) को फर्ज क़र दिया है और इसमें हमने वाज़ेए व रौशन आयतें नाज़िल की हैं ताकि तुम (ग़ौर करके) नसीहत हासिल करो
الزَّانِيَةُ وَالزَّانِي فَاجْلِدُوا كُلَّ وَاحِدٍ مِنْهُمَا مِائَةَ جَلْدَةٍ ۖ وَلَا تَأْخُذْكُمْ بِهِمَا رَأْفَةٌ فِي دِينِ اللَّهِ إِنْ كُنْتُمْ تُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ ۖ وَلْيَشْهَدْ عَذَابَهُمَا طَائِفَةٌ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
़ज़िना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों में से हर एक को सौ (सौ) कोडे मारो और अगर तुम ख़ुदा और रोजे अाख़िरत पर ईमान रखते हो तो हुक्मे खुदा के नाफिज़ करने में तुमको उनके बारे में किसी तरह की तरस का लिहाज़ न होने पाए और उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए
الزَّانِي لَا يَنْكِحُ إِلَّا زَانِيَةً أَوْ مُشْرِكَةً وَالزَّانِيَةُ لَا يَنْكِحُهَا إِلَّا زَانٍ أَوْ مُشْرِكٌ ۚ وَحُرِّمَ ذَٰلِكَ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ
ज़िना करने वाला मर्द तो ज़िना करने वाली औरत या मुशरिका से निकाह करेगा और ज़िना करने वाली औरत भी बस ज़िना करने वाले ही मर्द या मुशरिक से निकाह करेगी और सच्चे ईमानदारों पर तो इस क़िस्म के ताल्लुक़ात हराम हैं
وَالَّذِينَ يَرْمُونَ الْمُحْصَنَاتِ ثُمَّ لَمْ يَأْتُوا بِأَرْبَعَةِ شُهَدَاءَ فَاجْلِدُوهُمْ ثَمَانِينَ جَلْدَةً وَلَا تَقْبَلُوا لَهُمْ شَهَادَةً أَبَدًا ۚ وَأُولَٰئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ
और जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाएँ फिर (अपने दावे पर) चार गवाह पेश न करें तो उन्हें अस्सी कोड़ें मारो और फिर (आइन्दा) कभी उनकी गवाही कुबूल न करो और (याद रखो कि) ये लोग ख़ुद बदकार हैं
إِلَّا الَّذِينَ تَابُوا مِنْ بَعْدِ ذَٰلِكَ وَأَصْلَحُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
मगर हाँ जिन लोगों ने उसके बाद तौबा कर ली और अपनी इसलाह की तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
وَالَّذِينَ يَرْمُونَ أَزْوَاجَهُمْ وَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ شُهَدَاءُ إِلَّا أَنْفُسُهُمْ فَشَهَادَةُ أَحَدِهِمْ أَرْبَعُ شَهَادَاتٍ بِاللَّهِ ۙ إِنَّهُ لَمِنَ الصَّادِقِينَ
और जो लोग अपनी बीवियों पर (ज़िना) का ऐब लगाएँ और (इसके सुबूत में) अपने सिवा उनका कोई गवाह न हो तो ऐसे लोगों में से एक की गवाही चार मरतबा इस तरह होगी कि वह (हर मरतबा) ख़ुदा की क़सम खाकर बयान करे कि वह (अपने दावे में) जरुर सच्चा है
وَالْخَامِسَةُ أَنَّ لَعْنَتَ اللَّهِ عَلَيْهِ إِنْ كَانَ مِنَ الْكَاذِبِينَ
और पाँचवी (मरतबा) यूँ (कहेगा) अगर वह झूट बोलता हो तो उस पर ख़ुदा की लानत
وَيَدْرَأُ عَنْهَا الْعَذَابَ أَنْ تَشْهَدَ أَرْبَعَ شَهَادَاتٍ بِاللَّهِ ۙ إِنَّهُ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ
और औरत (के सर से) इस तरह सज़ा टल सकती है कि वह चार मरतबा ख़ुदा की क़सम खा कर बयान कर दे कि ये शख्स (उसका शौहर अपने दावे में) ज़रुर झूठा है
وَالْخَامِسَةَ أَنَّ غَضَبَ اللَّهِ عَلَيْهَا إِنْ كَانَ مِنَ الصَّادِقِينَ
और पाँचवी मरतबा यूँ करेगी कि अगर ये शख्स (अपने दावे में) सच्चा हो तो मुझ पर खुदा का ग़ज़ब पड़े
وَلَوْلَا فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهُ وَأَنَّ اللَّهَ تَوَّابٌ حَكِيمٌ
और अगर तुम पर ख़ुदा का फज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो देखते कि तोहमत लगाने वालों का क्या हाल होता और इसमें शक ही नहीं कि ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला हकीम है
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