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Surah Yunus Ayah #12 Translated in Hindi

وَإِذَا مَسَّ الْإِنْسَانَ الضُّرُّ دَعَانَا لِجَنْبِهِ أَوْ قَاعِدًا أَوْ قَائِمًا فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُ ضُرَّهُ مَرَّ كَأَنْ لَمْ يَدْعُنَا إِلَىٰ ضُرٍّ مَسَّهُ ۚ كَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِلْمُسْرِفِينَ مَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
और इन्सान को जब कोई नुकसान छू भी गया तो अपने पहलू पर (लेटा हो) या बैठा हो या ख़ड़ा (गरज़ हर हालत में) हम को पुकारता है फिर जब हम उससे उसकी तकलीफ को दूर कर देते है तो ऐसा खिसक जाता है जैसे उसने तकलीफ के (दफा करने के) लिए जो उसको पहुँचती थी हमको पुकारा ही न था जो लोग ज्यादती करते हैं उनकी कारस्तानियाँ यूँ ही उन्हें अच्छी कर दिखाई गई हैं

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Yunus : 12
Mishari Rashid al-`Afasy