Surah Yusuf Translated in Hindi
إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ
हमने इस किताब (क़ुरान) को अरबी में नाज़िल किया है ताकि तुम समझो
نَحْنُ نَقُصُّ عَلَيْكَ أَحْسَنَ الْقَصَصِ بِمَا أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ هَٰذَا الْقُرْآنَ وَإِنْ كُنْتَ مِنْ قَبْلِهِ لَمِنَ الْغَافِلِينَ
(ऐ रसूल) हम तुम पर ये क़ुरान नाज़िल करके तुम से एक निहायत उम्दा क़िस्सा बयान करते हैं अगरचे तुम इसके पहले (उससे) बिल्कुल बेख़बर थे
إِذْ قَالَ يُوسُفُ لِأَبِيهِ يَا أَبَتِ إِنِّي رَأَيْتُ أَحَدَ عَشَرَ كَوْكَبًا وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ رَأَيْتُهُمْ لِي سَاجِدِينَ
(वह वक्त याद करो) जब यूसूफ ने अपने बाप से कहा ऐ अब्बा मैने ग्यारह सितारों और सूरज चाँद को (ख्वाब में) देखा है मैने देखा है कि ये सब मुझे सजदा कर रहे हैं
قَالَ يَا بُنَيَّ لَا تَقْصُصْ رُؤْيَاكَ عَلَىٰ إِخْوَتِكَ فَيَكِيدُوا لَكَ كَيْدًا ۖ إِنَّ الشَّيْطَانَ لِلْإِنْسَانِ عَدُوٌّ مُبِينٌ
याक़ूब ने कहा ऐ बेटा (देखो ख़बरदार) कहीं अपना ख्वाब अपने भाईयों से न दोहराना (वरना) वह लोग तुम्हारे लिए मक्कारी की तदबीर करने लगेगें इसमें तो शक़ ही नहीं कि शैतान आदमी का खुला हुआ दुश्मन है
وَكَذَٰلِكَ يَجْتَبِيكَ رَبُّكَ وَيُعَلِّمُكَ مِنْ تَأْوِيلِ الْأَحَادِيثِ وَيُتِمُّ نِعْمَتَهُ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ آلِ يَعْقُوبَ كَمَا أَتَمَّهَا عَلَىٰ أَبَوَيْكَ مِنْ قَبْلُ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ ۚ إِنَّ رَبَّكَ عَلِيمٌ حَكِيمٌ
और (जो तुमने देखा है) ऐसा ही होगा कि तुम्हारा परवरदिगार तुमको बरगुज़ीदा (इज्ज़तदार) करेगा और तुम्हें ख्वाबो की ताबीर सिखाएगा और जिस तरह इससे पहले तुम्हारे दादा परदादा इबराहीम और इसहाक़ पर अपनी नेअमत पूरी कर चुका है और इसी तरह तुम पर और याक़ूब की औलाद पर अपनी नेअमत पूरी करेगा बेशक तुम्हारा परवरदिगार बड़ा वाक़िफकार हकीम है
لَقَدْ كَانَ فِي يُوسُفَ وَإِخْوَتِهِ آيَاتٌ لِلسَّائِلِينَ
(ऐ रसूल) यूसुफ और उनके भाइयों के किस्से में पूछने वाले (यहूद) के लिए (तुम्हारी नुबूवत) की यक़ीनन बहुत सी निशानियाँ हैं
إِذْ قَالُوا لَيُوسُفُ وَأَخُوهُ أَحَبُّ إِلَىٰ أَبِينَا مِنَّا وَنَحْنُ عُصْبَةٌ إِنَّ أَبَانَا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
कि जब (यूसूफ के भाइयों ने) कहा कि बावजूद कि हमारी बड़ी जमाअत है फिर भी यूसुफ़ और उसका हकीक़ी भाई (इब्ने यामीन) हमारे वालिद के नज़दीक बहुत ज्यादा प्यारे हैं इसमें कुछ शक़ नहीं कि हमारे वालिद यक़ीनन सरीही (खुली हुई) ग़लती में पड़े हैं
اقْتُلُوا يُوسُفَ أَوِ اطْرَحُوهُ أَرْضًا يَخْلُ لَكُمْ وَجْهُ أَبِيكُمْ وَتَكُونُوا مِنْ بَعْدِهِ قَوْمًا صَالِحِينَ
(ख़ैर तो अब मुनासिब ये है कि या तो) युसूफ को मार डालो या (कम से कम) उसको किसी जगह (चल कर) फेंक आओ तो अलबत्ता तुम्हारे वालिद की तवज्जो सिर्फ तुम्हारी तरफ हो जाएगा और उसके बाद तुम सबके सब (बाप की तवजज्जो से) भले आदमी हो जाओगें
قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ لَا تَقْتُلُوا يُوسُفَ وَأَلْقُوهُ فِي غَيَابَتِ الْجُبِّ يَلْتَقِطْهُ بَعْضُ السَّيَّارَةِ إِنْ كُنْتُمْ فَاعِلِينَ
उनमें से एक कहने वाला बोल उठा कि यूसुफ को जान से तो न मारो हाँ अगर तुमको ऐसा ही करना है तो उसको किसी अन्धे कुएँ में (ले जाकर) डाल दो कोई राहगीर उसे निकालकर ले जाएगा (और तुम्हारा मतलब हासिल हो जाएगा)
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