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Surah Yusuf Ayahs #46 Translated in Hindi

وَقَالَ لِلَّذِي ظَنَّ أَنَّهُ نَاجٍ مِنْهُمَا اذْكُرْنِي عِنْدَ رَبِّكَ فَأَنْسَاهُ الشَّيْطَانُ ذِكْرَ رَبِّهِ فَلَبِثَ فِي السِّجْنِ بِضْعَ سِنِينَ
और उन दोनों में से जिसकी निस्बत यूसुफ ने समझा था वह रिहा हो जाएगा उससे कहा कि अपने मालिक के पास मेरा भी तज़किरा करना (कि मैं बेजुर्म क़ैद हूँ) तो शैतान ने उसे अपने आक़ा से ज़िक्र करना भुला दिया तो यूसुफ क़ैद ख़ाने में कई बरस रहे
وَقَالَ الْمَلِكُ إِنِّي أَرَىٰ سَبْعَ بَقَرَاتٍ سِمَانٍ يَأْكُلُهُنَّ سَبْعٌ عِجَافٌ وَسَبْعَ سُنْبُلَاتٍ خُضْرٍ وَأُخَرَ يَابِسَاتٍ ۖ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ أَفْتُونِي فِي رُؤْيَايَ إِنْ كُنْتُمْ لِلرُّؤْيَا تَعْبُرُونَ
और (इसी असना (बीच) में) बादशाह ने (भी ख्वाब देखा और) कहा मैने देखा है कि सात मोटी ताज़ी गाए हैं उनको सात दुबली पतली गाय खाए जाती हैं और सात ताज़ी सब्ज़ बालियॉ (देखीं) और फिर (सात) सूखी बालियॉ ऐ (मेरे दरबार के) सरदारों अगर तुम लोगों को ख्वाब की ताबीर देनी आती हो तो मेरे (इस) ख्वाब के बारे में हुक्म लगाओ
قَالُوا أَضْغَاثُ أَحْلَامٍ ۖ وَمَا نَحْنُ بِتَأْوِيلِ الْأَحْلَامِ بِعَالِمِينَ
उन लोगों ने अर्ज़ की कि ये तो (कुछ) ख्वाब परेशॉ (सा) है और हम लोग ऐसे ख्वाब (परेशॉ) की ताबीर तो नहीं जानते हैं
وَقَالَ الَّذِي نَجَا مِنْهُمَا وَادَّكَرَ بَعْدَ أُمَّةٍ أَنَا أُنَبِّئُكُمْ بِتَأْوِيلِهِ فَأَرْسِلُونِ
और जिसने उन दोनों में से रिहाई पाई थी (साकी) और उसको एक ज़माने के बाद (यूसुफ का क़िस्सा) याद आया बोल उठा कि मुझे (क़ैद ख़ाने तक) जाने दीजिए तो मैं उसकी ताबीर बताए देता हूँ
يُوسُفُ أَيُّهَا الصِّدِّيقُ أَفْتِنَا فِي سَبْعِ بَقَرَاتٍ سِمَانٍ يَأْكُلُهُنَّ سَبْعٌ عِجَافٌ وَسَبْعِ سُنْبُلَاتٍ خُضْرٍ وَأُخَرَ يَابِسَاتٍ لَعَلِّي أَرْجِعُ إِلَى النَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَعْلَمُونَ
(ग़रज़ वह गया और यूसुफ से कहने लगा) ऐ यूसुफ ऐ बड़े सच्चे (यूसुफ) ज़रा हमें ये तो बताइए कि सात मोटी ताज़ी गायों को सात पतली गाय खाए जाती है और सात बालियॉ हैं हरी कचवा और फिर (सात) सूखी मुरझाई (इसकी ताबीर क्या है) तो मैं लोगों के पास पलट कर जाऊँ (और बयान करुँ)

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