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Surah Yusuf Ayahs #76 Translated in Hindi

قَالُوا نَفْقِدُ صُوَاعَ الْمَلِكِ وَلِمَنْ جَاءَ بِهِ حِمْلُ بَعِيرٍ وَأَنَا بِهِ زَعِيمٌ
उन लोगों ने जवाब दिया कि हमें बादशाह का प्याला नहीं मिलता है और मै उसका ज़ामिन हूँ कि जो शख़्श उसको ला हाज़िर करेगा उसको एक ऊँट के बोझ बराबर (ग़ल्ला इनाम) मिलेगा
قَالُوا تَاللَّهِ لَقَدْ عَلِمْتُمْ مَا جِئْنَا لِنُفْسِدَ فِي الْأَرْضِ وَمَا كُنَّا سَارِقِينَ
तब ये लोग कहने लगे ख़ुदा की क़सम तुम तो जानते हो कि (तुम्हारे) मुल्क में हम फसाद करने की ग़रज़ से नहीं आए थे और हम लोग तो कुछ चोर तो हैं नहीं
قَالُوا فَمَا جَزَاؤُهُ إِنْ كُنْتُمْ كَاذِبِينَ
तब वह मुलाज़िमीन बोले कि अगर तुम झूठे निकले तो फिर चोर की क्या सज़ा होगी
قَالُوا جَزَاؤُهُ مَنْ وُجِدَ فِي رَحْلِهِ فَهُوَ جَزَاؤُهُ ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِي الظَّالِمِينَ
(वे धड़क) बोल उठे कि उसकी सज़ा ये है कि जिसके बोरे में वह (माल) निकले तो वही उसका बदला है (तो वह माल के बदले में ग़ुलाम बना लिया जाए)
فَبَدَأَ بِأَوْعِيَتِهِمْ قَبْلَ وِعَاءِ أَخِيهِ ثُمَّ اسْتَخْرَجَهَا مِنْ وِعَاءِ أَخِيهِ ۚ كَذَٰلِكَ كِدْنَا لِيُوسُفَ ۖ مَا كَانَ لِيَأْخُذَ أَخَاهُ فِي دِينِ الْمَلِكِ إِلَّا أَنْ يَشَاءَ اللَّهُ ۚ نَرْفَعُ دَرَجَاتٍ مَنْ نَشَاءُ ۗ وَفَوْقَ كُلِّ ذِي عِلْمٍ عَلِيمٌ
हम लोग तो (अपने यहाँ) ज़ालिमों (चोरों) को इसी तरह सज़ा दिया करते हैं ग़रज़ यूसुफ ने अपने भाई का थैला खोलने ने से क़ब्ल दूसरे भाइयों के थैलों से (तलाशी) शुरू की उसके बाद (आख़िर में) उस प्याले को यूसुफ ने अपने भाई के थैले से बरामद किया यूसुफ को भाई के रोकने की हमने यू तदबीर बताइ वरना (बादशाह मिस्र) के क़ानून के मुवाफिक़ अपने भाई को रोक नहीं सकते थे मगर हाँ जब ख़ुदा चाहे हम जिसे चाहते हैं उसके दर्जे बुलन्द कर देते हैं और (दुनिया में) हर साहबे इल्म से बढ़कर एक और आलिम है

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